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54 वर्षीय महेंद्र भट्ट बने दोबारा भाजपा अध्यक्ष, धामी संग बेहतर तालमेल बना हाईकमान की पसंद
उत्तराखण्ड में भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष पद के चुनाव मे एकमात्र नामांकन होने से यह तय हो गया है कि महेंद्र भट्ट रिपीट होने जा रहे हैं। भट्ट की दोबारा ताजपोशी से मुख्यमंत्री और प्रदेश अध्यक्ष दोनों पदों का क्षेत्रीय व जातीय संतुलन बरकरार रखा गया है। इसे भाजपा हाईकमान की ओर से मिशन 2027 के लिए की गई किलेबंदी के रूप में भी देखा जा रहा है। संदेश साफ है कि मुख्यमंत्री धामी लगातार मजबूत होते जा रहे हैं और भाजपा हर लिहाज से उनकी पसंद व सहूलियत का पूरा ख्याल रख रही है।
दोबारा प्रदेश अध्यक्ष की कुर्सी संभालते ही महेंद्र भट्ट के नाम एक नया रिकॉर्ड बनाने जा रहा है। उत्तराखण्ड में लगातार दो बार प्रदेश अध्यक्ष की कुर्सी संभालने वाले वह पहले भाजपा नेता होंगे 30 जुलाई 2022 को पहली बार महेंद्र भट्ट ने प्रदेश भाजपा की कमान संभाली थी। इधर, देहरादून में आज प्रदेश अध्यक्ष के लिए महेंद्र भट्ट ने अकेले नामांकन कराया है। इससे साफ है कि कल महेंद्र भट्ट की विधिवत ताजपोशी कर दी जाएगी। उनके नामांकन के दौरान मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी समेत भाजपा के तमाम बड़े नेता मौजूद रहे। महेंद्र भट्ट वर्तमान में प्रदेश अध्यक्ष होने के साथ ही राज्यसभा सांसद हैं। वह गढ़वाल से प्रभावशाली ब्राह्रमण चेहरा हैं। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के साथ बेहतर तालमेल भट्ट के लिए फायदेमंद साबित हुआ। दोनों के नेतृत्व में सरकार और संगठन ने सटीक सामंजस्य बैठाकर साथ-साथ जो कदमताल किया वो भाजपा हाईकमान को खूब पसंद आया
दरअसल, महेन्द्र भट्ट अपनी बेबाकी के लिए भी जाने जाते हैं। अपने बयानों से वह कई बार सुर्खियां बटोर चुके हैं। ‘हार्डकोर हिन्दुत्व’ के वह समर्थक माने जाते हैं। मात्र 54 साल के महेंन्द्र भट्ट ने ग्रास रूट लेवल से अपना राजनैतिक सफर 1991 में शुरू किया था। रामजन्मभूमि और उत्तराखण्ड राज्य आन्दोलन के दौरान उन्हें दो बार जेल जाना पड़ा। एबीवीपी में प्रदेश सह मंत्री, जिला संयोजक, जिला संगठन मंत्री, विभाग संगठन मंत्री का दायित्व उन्होंने बखूबी निभाया। वह भाजपा युवामोर्चा के प्रदेश सह मंत्री और उत्तरांचल युवामोर्चा में प्रदेश महामंत्री व प्रथम प्रदेश अध्यक्ष भी रहे। 2002 में उन्होंने नंदप्रयाग विधानसभा सीट से चुनाव जीता। इसके बाद 2017 में उन्होंने फिर बदरीनाथ विधानसभा सीट से जीत हासिल की लेकिन 2022 में उन्हें फिर हार का सामना करना पड़ा। विधायक का चुनाव हारने के बावजूद भाजपा हाईकमान ने 30 जुलाई 2022 को उन्हें प्रदेश अध्यक्ष बनाया और फिर 2 अप्रैल 2024 को उत्तराखण्ड से राज्यसभा सांसद बनाया। अब वह लगातार दूसरी बार प्रदेश अध्यक्ष बनकर कीर्तिमान बना रहे हैं। इस पद के लिए वह मुख्यमंत्री धामी की भी पहली पसंद बताए जा रहे थे।