मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि अनुभागों से उच्च स्तर पर जो पत्रावलियां आती हैं, उन पर अधिकारी अपना मन्तव्य अवश्य लिखें। पत्रावलियों को सकारात्मक दिशा में ले जाने के लिए अपना नोट अवश्य जोड़ें। नीति निर्धारण वाले प्रकरणों की पत्रावलियों में वैल्यू एडिटिंग पर विशेष ध्यान दिया जाए।

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मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि अनुभागों से उच्च स्तर पर जो पत्रावलियां आती हैं, उन पर अधिकारी अपना मन्तव्य अवश्य लिखें। पत्रावलियों को सकारात्मक दिशा में ले जाने के लिए अपना नोट अवश्य जोड़ें। नीति निर्धारण वाले प्रकरणों की पत्रावलियों में वैल्यू एडिटिंग पर विशेष ध्यान दिया जाए।

 

 

 

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि अनुभागों से उच्च स्तर पर जो पत्रावलियां आती हैं, उन पर अधिकारी अपना मन्तव्य अवश्य लिखें। पत्रावलियों को सकारात्मक दिशा में ले जाने के लिए अपना नोट अवश्य जोड़ें। नीति निर्धारण वाले प्रकरणों की पत्रावलियों में वैल्यू एडिटिंग पर विशेष ध्यान दिया जाए।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि अनुभागों से उच्च स्तर पर जो पत्रावलियां आती हैं, उन पर अधिकारी अपना मन्तव्य अवश्य लिखें। पत्रावलियों को सकारात्मक दिशा में ले जाने के लिए अपना नोट अवश्य जोड़ें। नीति निर्धारण वाले प्रकरणों की पत्रावलियों में वैल्यू एडिटिंग पर विशेष ध्यान दिया जाए। अनुसचिव से अपर सचिव स्तर तक के अधिकारी भी ग्राम स्तर पर आयोजित चौपालों में समय-समय पर प्रतिभाग करें। योजनाओं के बेहतर क्रियान्वयन के लिए नियमित फील्ड विजिट भी किये जाए। सचिवालय में सुराज, सुशासन, सरलीकरण एवं समाधान के संबंध में अनु सचिव से अपर सचिव तक के अधिकारियों की बैठक में मुख्यमंत्री ने यह बात कही। 

 

     मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर घोषणा की कि सचिवालय स्तर पर भी सुशासन पुरस्कार दिये जायेंगे। मुख्यमंत्री ने कहा कि जब भी भारत सरकार के स्तर से कोई पत्र आता है। उस पत्र की आत्मा क्या है, सचिव स्तर से इसका नोट लिख कर पत्रावली अनुभाग को भेजी जाए। इससे जनहित लिये जाने वाले महत्वपूर्ण निर्णयों की नोटिंग शुरुआती चरण से ही सही तरीके से आयेगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि समीक्षा बैठकों के लिए मन्थली कैलेंडर बनाने की दिशा में भी ध्यान दिया जाए। कार्यों के बेहतर एवं त्वरित संपादन के लिए अधिकारी आपसी तालमेल से कार्य करें। विभागों के किसी प्रस्ताव पर यदि कोई बात स्पष्ट न हो रही हो तो, फाइल वापस भेजने के बजाय विभागाध्यक्षों से फोन पर वार्ता कर ही उनका मंतव्य जान लिया जाए। इससे समय की भी बचत होगी एवं जनहित से जुड़े प्रकरणों का निस्तारण भी तेजी से होगा। 

 

     इस अवसर पर अधिकारियों ने बेहतर कार्यसंस्कृति के लिए अपने सुझाव दिये। बैठक में सुझाव दिया गया कि एक अधिकारी को अलग-अलग विभागों के अनुभाग दिये जाने के बजाय एक ही विभाग के दो या तीन अनुभाग मिलेंगे तो इससे कार्यों में तेजी आयेगी। कार्यों के बेहतर क्रियान्वयन के लिए सेमिनार एवं अन्य राज्यों की बेस्ट प्रैक्टिस का सुझाव भी आया। 

 

     बैठक में मुख्य सचिव डॉ. एस.एस. संधु, अपर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी, आनन्द बर्द्धन, सचिव दिलीप जावलकर, विनोद कुमार सुमन, एस.एन पाण्डेय एवं अपर सचिव से अनुसचिव स्तर के अधिकारी उपस्थित थे।

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